Tuesday, 3 April 2018

वो हवा हो गए


जमाने ने कितनी तरक्की कर ली
जो जितने करीब थे, वो हवा हो गए
उनकी आंखों के आँसू अब मेरे साथ हैं
हमें गम देके, वो बेवफा हो गए
अश्क पर तेजाब डाल कर चले जाएंगे
तस्वीर पूजते थे, अब इतने खफा हो गए
मेरी बाहों में हाथ डालकर चलने वाले
पहचानेंगे कैसे, गैर के वो हमनवां हो गए
मेरी कलम को पकड़ कर चलना सीखे जो
बड़ों की शोहबत में हैं, किस्से दफा हो गए


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