आज व्हाट्सएप जब उसने ऑन किया तो पता लगा मोबाइल स्विच्ड ऑफ हो
गया। स्क्रीन काली हो गई। बहुत तहकीकात करने पर पता चला कि इसको रंगीन बुखार हो
सकता है या यह भी हो सकता है डिहाइड्रेशन हो गया होगा। निर्णय यह हुआ कि अब इसे
किसी विशेषज्ञ से दिखा लिया जाए।
पड़ोस में बैठे एक मोबाइल डॉक्टर ने कहा कि इसे रंगीन बुखार ही हो
सकता है इसके लिए मोबाइल चार्ज में लगाना पड़ेगा यानी रीहाइड्रेट करना पड़ेगा तभी
पता चलेगा। थोड़ी देर तक चार्ज में लगाने के बाद स्विच ऑन होने पर पता चला कि अभी
इसमें जीवन है और इसे रंगों का बुखार ही हो गया था। 1562 मैसेज और 523 चैट का भार
सहन करने में बड़ी तकलीफ उठानी पड़ी। थोड़ा और अंदर तहकीकात शुरू हुई तो पता चला कि
इसमें से करीब 100 कॉन्टेक्ट्स बिना सेव्ड थे यानी कि ये कभी
विश्वस्त सूत्र का किरदार निभाये होंगे।
होली था न ऐसा लगा कि शायद होली तो यहीं खेली गई होगी। जिसने रंग नहीं लिया वह रजाई कर अंदर मुँह ढककर होली की शुभकामनाएं दे रहा था। ज्यादातर लोग किसी परंपरा का निर्वहन ही कर रहे थे। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था अगर इसे आगे फारवर्ड नहीं करेंगे तो श्राप लग जायेगा। शायद वे वही लोग थे जो कभी दिल्ली की बस में बैठे होंगे तभी कश्मीरी गेट के पास उनके हाथ में एक पर्ची थमा दी गई होगी कि अब इस पर्ची की 1000 कॉपी नहीं बांटे तो आपका विनाश हो जाएगा।
होली था न ऐसा लगा कि शायद होली तो यहीं खेली गई होगी। जिसने रंग नहीं लिया वह रजाई कर अंदर मुँह ढककर होली की शुभकामनाएं दे रहा था। ज्यादातर लोग किसी परंपरा का निर्वहन ही कर रहे थे। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था अगर इसे आगे फारवर्ड नहीं करेंगे तो श्राप लग जायेगा। शायद वे वही लोग थे जो कभी दिल्ली की बस में बैठे होंगे तभी कश्मीरी गेट के पास उनके हाथ में एक पर्ची थमा दी गई होगी कि अब इस पर्ची की 1000 कॉपी नहीं बांटे तो आपका विनाश हो जाएगा।
बुखार हुआ था, लेकिन टुल्लू, पूल्लु और गुल्लू सब एक साथ सेलेक्ट ऑल करके हैप्पी होली सेंड कर रहे थे।
फिर एक बार किसी ने थैंक यू लिख कर भेजा तो उसे भी सेलेक्ट ऑल कर दिए और फिर वो
रिप्लाई हो गया। एक बार उनके मोबाइल में किसी कवि ने लंबी सी कविता में शुभकामनाएं
भेज दी। उन्हें पता नहीं था कि किसका नंबर है काफी जद्दोजहद करने के बाद ट्रू कॉलर
नामक नारद ने बताया कि ये एक वरिष्ठ दोस्त के मित्र और कवि हैं। मैसेज देखकर जो
रोमांच जगा था और रहस्य था कि ये हो न हो किसी महिला मित्र का नंबर हो वह तो
समाप्त हो गया था ।...और फिर लगा कि टुल्लू, पूल्लु और
गुल्लू सभी ने इस तरह से एक दूसरे से बिना संवाद किये और रंग पोते केवल एक दूसरे
को व्हाट्सएप पर रंग लगाकर पूरा दिन त्योहार मनाया। हालांकि जिसमें से करीब 50
परसेंट लोगों ने उनसे दुबारा पूछा आप हैं कौन?
वायरस ने अपना काम कर दिया है त्योहार मनाने में अब इन वायरस के
विभिन्न स्वरूप जैसे जेपीजी, जीआईएफ, सेल्फी, रिकॉर्डर, स्टेटस आदि
की सहायता के लिए पढ़े लिखे करीब भारत की करोड़ों, अरबों जनता
सीधे सहायता में लगी हुई है। हां सही है न अब रंग को लगाने और छुड़ाने में मशक्कत
नहीं करनी पड़ती। सेल्फी एप से सीधे चेहरे पर रंग आ जाता है न भाई। और तो और अब
मोबाइल रैम 128 जीबी भी कम पड़ रही है। 4000 फ़ोटो मोबाइल में रखना तो मानो उसी तरह से है जैसे खाने की एक डाइट हो।
....गजब का त्योहार मनाया जा रहा है ये भी पता नहीं चलता कि किसका मैसेज आया। वो
जिंदा भी है या नहीं। उसका हाल पता नहीं है। वह दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क पर पड़ा है
और उसे 70 लोग होली की शुभकामनाएं दे रहे हैं।
भाई हमारा मोबाइल तो रंगीन बुखार से ग्रस्त था इसलिए अभी दे रहा
हूँ होली की शुभकामनाएं। ये समझ लीजिये आपने भी शुभकामनाएं भेजी थीं। लेकिन उसका
अंजाम ये रहा कि इतने शब्दों का खर्चा करके यह लेख लिखना पड़ा। ऑफलाइन होली जब
मैंने खेली थी तब कि फोटो शेयर कर रहा हूँ। देखिए मेरे दिल तक रंग चढ़ा था या किसी
एप तक....
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