तुम्हारे पास मैं बैठा हूँ, फासले
बहुत हैं मगर
कुछ बोलो न तो दिक्कत, कुछ बोलो तो भी दिक्कत
अजीब सी चाहत है, बहुत दूर जा रहा
ये डगर
कुछ दूर जाकर भी दिक्कत, वहीं बैठकर भी दिक्कत
खामोशियाँ खुलकर सामने आ भी जाएं अगर
कुछ तुम्हारी नजर में दिक्कत, कुछ मेरी वजह से
दिक्कत
प्रभात
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 17 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1280 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
खामोशियाँ खुलकर सामने आ भी जाएं अगर
ReplyDeleteकुछ तुम्हारी नजर में दिक्कत, कुछ मेरी वजह से दिक्कत
नमन , इन भावपूर्ण पंक्तियों के लिये..
सभी को सुबह का प्रणाम,अच्छी रचनाओं से भरा उम्दा अंक।
धन्यवाद
Deleteवाह! बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteवाह्ह्ह... लाज़वाब👌
ReplyDeleteMysterious mood wali post.. :)
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