कुछ ऐसे सपने भी होते हैं जिन्हें हम नींद में देखते हैं अनुभव
करते हैं, एहसास करते हैं और इन्हीं में ऐसे ही बहुत सारे
चेहरों को बदलते किरदारों के रूप में भी देखते हैं। इन सबके बावजूद किसी वजह से हम
ऐसे किरदारों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाते।
चाहकर भी न बता पाने की वजह से यहाँ भी उन सपनों का मर जाना ही होता है, जिन्हें हमने बंद आंखों से देखा है। खासकर तब जब वास्तविक दुनिया में किरदारों तक पहुंच नहीं होती या यूं कहें कि कभी थी, मगर अब नहीं है।
प्रभात
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