Wednesday, 16 January 2019

कभी-कभी हम अपने एहसासों को


कभी-कभी हम अपने एहसासों को किसी के लिए बयां नहीं कर पाते। उनके प्यार और दुलार के आगे मौन रहना विवशता होती है। मन चाहता है ऐसे इंसान को गले लगा लूँ, एक बार चूम लूँ। लेकिन, समाज के आगे उस प्यार को एहसान मानकर चलने को नैतिकता विवश कर देती हैं। 

खुशियों को व्यक्त करने के साधन के रूप में केवल अपनी कलम ही बचती है और फिर कहानियों में ही उस पल का जिक्र हो पाता है...
प्रभात


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