Friday, 23 March 2018

तो प्रिये तुम आना बस


बांसुरी की ध्वनि में
जब झंकार उठे मन से
वीणा की धार में सारी
जब श्रृंगार सजे मन से
तो प्रिये तुम आना बस
ठहर जाए जमाना बस
मिलन की अप्रतिम छवि
दौड़ उठे गईया तब
आंगन में फूल खिले
हवा छू जाए हृदय जब
मौन हों नदियां सारी
चाँद तुम दिखो तब
तो प्रिये तुम आना बस
देखना तुम तिरछी नजरों से
मुस्काना तुम झुके अधरों से
तितलियां उड़ जाएं जब
भौरें मचल जाएं तब
जुगनुओं के आने से पहले
तुम चली आना
गीत कोई गुनगुनाना

2 comments:

  1. बेहतरीन नज़्म हैं , शायद इन दिनों कुछ व्यस्त हैं आप।

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    1. हाहाहा...नहीं बिल्कुल नहीं मैं फ्री हूँ।

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