बेजुबान आवाजों
को दबाकर हमारी एकता को मिटा रहे हो
हम भूले नहीं है
उन्हें मगर भूल गए हैं क्या से क्या हुआ है वहां
बहुत जल्दी है सच
को हटाने की सब कुछ लिखा मिटाने की
मगर हम नहीं
मिटने देंगे हमारी संस्कृतियां फैली हैं जहां जहां
तुमको नसीब तो सब
कुछ है तभी तुम सबको डरा रहे हो
खुद के अहम के
आगे जागी इंसानियत गलत बता रहे हो
मगर जिंदा है
ईमान, भले अभी गोलियां
जब जब चलेंगी
जिंदा है वतन और
उसके मसीहा कोई चेतना तो कहेगी
#प्रभात
Prabhat

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