Saturday, 1 September 2012

यादें!


एक पत्थर नहीं हज़ार है ,किसे पूजना है किसको देखना है ,
इन यादों की तो भरमार है , किसे याद है किसको पाना  है ,
क्यूँ एक मोती की तलाश है, जिसे लाना है और रखना है ,
ऐसे सवालों का कितना जवाब है , जिसे बताना है और अपनाना है



"प्रभात "

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