तुम्हारे आवाजों को प्रतिध्वनि सा माया बना देती
हैंI
था सूना जंगल, पर मानो पुकारा हो तुम्हे किसी ने,
तुम्हारे आने की आशा, इसी सोंच का सहारा बना देती
हैंI
नदिया बह रही होती है मंद-मंद, मूक चाल से ,
मुस्कुराती फूलों का हसना, बड़ा सा झरना बना देती
हैंI
दूरियां इतनी नहीं की कोई बहाना बना सकें,
नजदीकियां भी कहाँ, जो नईया को किनारा दिखा देती हैंI
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