Tuesday, 10 September 2013

बस अफवाहों से घर-बेघर हुए जा रहे हैं

न मजहब की लड़ाई है न ही किसी खतरे की,
बस अफवाहों से घर-बेघर हुए जा रहे हैं
जिनके घर में एक रोटी-दाना का जुगाड़ नहीं,
वे धर्म-सम्प्रदाय के बंधन में फसें रहे है
राजनीति करते चंद लोगों के साये में सदैव,
मोहल्ले के बेसहारे लोग ही हिंसक बनते रहे हैं
एकता के सूत्र में पिरोये भारत को अब,
मात्र धर्म के नाम पर चुनौती दी जा रही है……….




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