यह
जो प्रथा है- नमस्कार कहने की, इसी को स्वीकार करते हुए मै आप तक पहुँच गया हूँ-
इस ब्लॉग और फेसबुक के माध्यम से। नमस्कार ही यहाँ क्यों? इसलिए क्योंकि
यहाँ सुबह है या शाम यह पता लगाना व्यावहारिक तौर पर मेरे लिए असंभव
प्रतीत होता है। वर्ष 2012 का मेरे छोटे और बेहद महत्त्वपूर्ण सफ़र
की शुरुआत और अब समाप्ति भी मेरे रेल के सफ़र से हो रही है। ऐसा लगता है अभी
भी मै भारतीय रेल शिवगंगा के एक डिब्बे में कैद हूँ, इस धुंध और ठंडी
के सफ़र का आनंद केवल मै ही ले रहा हूँ। यह मेरा अभी के लिए अंतिम अवसर है
जब आपसे मै इन्टरनेट के माध्यम से रहा हूँ।
मै
24 दिसंबर को मेरी यात्रा शुरू होनी थी मेरा यह दिन पूरी आजादी के साथ बीता।दिल्ली
के कुछ बीते दिनों को और बिताये स्थानों को यहाँ मिले कीमती लोगों के
साथ मिलकर मेरा यह दिन यादों से पूरी तरह सराबोर रहा। मेरी ट्रेन 7.00 बजे
सायं को प्रस्थान करनी थी दिल्ली से बनारस के लिए। स्टेशन पर पहुँचने पर पता चला।
ट्रेन अपने निर्धारित समय से 14 घंटे देरी से चल रही है, असुविधा के लिए खेद
है। भारतीय रेल की मंगल शुभकामनाओं और हमारे दोस्तों के शुभकामनाये। ट्रेन अब
इतनी देर को यहाँ से चलनी थी की मै इंतजार नहीं कर सकता था। संयोग था की मुझे मेरे
दोस्त की मदद से एक जगह के लिए मिल गयी, जामा मस्जिद के पास थोडा वक्त बिता मैं
स्टेशन दुबारा 11.00 बजे रात्रि पंहुचा अब ट्रेन के चलने का समय 3.30 बजे
अगले दिन सुबह कर दिया गया था। मेरा लगभग 5 घंटे फिर इंतजार में ही बीता। यह एक
अच्छा वक्त था जब अब ट्रेन लेट नहीं हुई नहीं तो इसका रद होना तय था।
दिल्ली
स्टेशन से ट्रेन अब सुबह 5 बजे चली, मंद बैलगाड़ी के चाल से, मानो ऐसा लग रहा
हो कि रेल को ठण्ड ने अपने अंकुश में ले लिया हो। कुछ न करते हुए मै अपने कीमती समय
को कुछ लिखने और पढने में ही बिता सकता था।
"एक
मूर्ती साथ नहीं, फिर क्या यहाँ पत्थर जो पूजे जाते हैं,
मूक
धरती है तो क्या यहाँ सब ईश से जाने जाते हैं।
भौतिक
बातों में नहीं तो क्या
यहाँ सब स्वप्नों में जब
मिल जाते हैं,
अधिशेष
मिलन की हर यादें बस, जो यादों में जाने जाते हैं।"
दोस्तों,
मेरा यह शायद अंतिम नहीं बस अभी के लिए अंतिम अवसर होगा जो यहाँ (ब्लॉग पर) आपसे मिल
रहा हूँ, कुछ दिनों के लिए मेरी तरफ से विदा।
जरूर
मिलेंगे लेकिन कब यह समय बताएगा, खैर आप मुझे मोबाइल से जरूर याद कर सकते है, यहाँ
न मिल पाने के लिए मुझे खेद है।
अच्छी रचना।
ReplyDeleteशुक्रिया!
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