Saturday 1 July 2017

ठहर जाएगी।

किसी दिन को बताकर हंसना हमीं पर
मेरी सूरत बन कर ठहर जाएगी।

कोई चाहत की ख्वाहिश पर ठहरना
जरूर वो ख्वाहिश पूरी हो जाएगी।

बादल बन कर उमड़ते रहना जमीं पर
मेरी याद में पलकें संवर जाएगी।

कोई हसीं पल गुजरे अगर बीच में 
वो पल मुलाकात की ठहर जाएगी।

किसी दिन को बताकर हंसना हमीं पर
मेरी सूरत बन कर ठहर जाएगी।

सितारों को चमकते देखेंगे अगर हम
लगेगा तुझे आंखों ने देख लिया हमारे।

जल तरंगों को एक साथ मिलते देखेंगे
लगेगा हम सीने से लग गए है तुम्हारे।

रास्ते से गुजरेंगे वहीं पर जहां मिले थे
खामोश हो घूमेंगे मन से साथ तुम्हारे।

कहीं से बर्फीली हवाएं होठों को छुएंगी
अहसास ले कर समीप आऊंगा तुम्हारे।

सितारों को चमकते देखेंगे अगर हम
लगेगा तुझे आंखों ने देख लिया हमारे।

-प्रभात

2 comments:

  1. इन्हीं राहों से गुज़रे हैं मगर हर बार लगता है
    अभी कुछ और,अभी कुछ और ,अभी कुछ और बाक़ी है... waakai

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    Replies
    1. धन्यवाद। सभी लोग इस तरह से ही इन्ही राहों पर गुजरते हैं मगर अहसास अलग अलग होते हैं।

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