Wednesday 18 May 2016

यही सारे बहाने है

रंग बिरंगे नज़ारे है
एहसास पुराने है
लिख रहा हूँ वही
जहाँ श्रृंगार तुम्हारे है


गूगल साभार 

उस क्षण की अनुपम
यादों के साये में
सूरज की राहों में
मुलाकात हमारे है
मगन गगन के छाँव में
शांत शाम के मनोभावों में
रुके समय की सौंदर्य गाथाएं है
देख रहा है नेत्र, रंगों को भरते
तुम्हारी कला और हमारे प्रेम की
अजब गजब ख्वाबो की
बाहों के उस मिलन की
वर्षों से इन्तजार में इस पल की
जहाँ खुशबू के मयखाने है
तुम्हारे दिल के तराने है
साँसों की गहराई के पैमाने है
तुम्हारी पहचान के मायने है
वह खूबसूरत सा एहसास जहाँ
अस्त को चला सूरज एक क्षण
हमारे स्वागत को रुके है
और यादों को कैद करने
तुमसे करीब करने
और पल प्रतिपल
तुममे ही खो जाने के लिए
यही सारे बहाने है
-प्रभात

No comments:

Post a Comment

अगर आपको मेरा यह लेख/रचना पसंद आया हो तो कृपया आप यहाँ टिप्पणी स्वरुप अपनी बात हम तक जरुर पहुंचाए. आपके पास कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है. आपका सदा आभारी रहूँगा!